हवाई यात्रा से लेकर कई राज्यों में जाने के लिए आरटी पीसीआर टेस्ट सरकारों ने अनिवार्य कर दिया है।
यह आरटी पीसीआर टेस्ट यात्रा से 72 घंटे पहले करवाना जरूरी है लेकिन सवाल खड़ा यह होता है कि अगर आप किसी सरकारी केंद्र अस्पताल आदि से कोरोना टेस्ट करवाते हैं तो आप की रिपोर्ट 4 से 5 दिनों में आती है जबकि यात्रा से 72 घंटे पहले ही कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट मांगी जाती है।
ऐसे में लोगों को 72 घंटे की रिपोर्ट दिखाने के लिए निजी लैब के पास मजबूरन जाना ही पड़ता है।
अब इसे सरकार और निजी लैब की गठबंधन का सिस्टम करें या फिर लोगों के साथ मक्कारी लेकिन हकीकत यही है कि लोगों को इस कोरोना टेस्ट के लिए 900 से 1000 रुपए निजी लैब को देने पड़ते हैं क्योंकि निजी लैब कुछ घंटे के भीतर ही कोरोना की रिपोर्ट लोगों को दे देती है जिस तरीके से कोरोना की दूसरी लहर तेजी से देश भर में फैल रही है। उसके बाद से उत्तराखंड महाराष्ट्र तमाम ऐसे राज्य हैं जहां कुरौना टेस्ट करवाना जरूरी हो गया है चाहे आप ट्रेन से जाएं या रोड से जबकि हवाई यात्रा तो आपको चाहे कहीं की भी करनी हो आपको आरटी पीसीआर टेस्ट अनिवार्य किया गया है।
ऐसे में आखिर सरकारी अस्पताल कोरोना केंद्रों में रिपोर्ट 1 दिन में क्यों नहीं मिलती जबकि यही रिपोर्ट निजी लैब कुछ दिनों में कुछ घंटों में ही पेश कर देती है।
कई निजी लैब से संपर्क करने पर पता लगा कि उनके पास टेस्ट करवाने वाले लोगों की बड़ी संख्या आ रही है जिसकी वजह से उनके पास बहुत ज्यादा काम पड़ गया है और सांस लेने की भी 1 मिनट नहीं है।