लॉकडाउन की वजह से देशभर के विभिन्न राज्यो में प्रवासी मजदूर फंसे हैं। प्रवासी मजदूर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रवासी मजदूरों को 15 दिनों के भीतर वापस उनके घरों को भेजा जाए। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों के लिए इस बारे में निर्देश जारी किए।प्रवासी श्रमिकों को पंजीकरण के माध्यम से पहचाना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खंडपीठ पहचान, पंजीकरण और अधिकारों की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश दे रही है। उसने केंद्र और राज्य सरकारों से प्रवासियों को रोजगार देने के लिए योजनाएं प्रस्तुत करने को भी कहा है। बता दे कि, कोर्ट ने कहा है कि लॉकडाउन के दौरान जिन मजदूरों पर कथित रूप से उल्लंघन करने के मामले दर्ज किए गए हैं, उनके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत सभी मामले वापस लिए जाएं।
कोर्ट ने कहा कि राज्यों की तरफ से श्रमिक ट्रेनों की डिमांड आने के बाद, केंद्र सरकार को 24 घंटे के भीतर अतिरिक्त ट्रेनें देनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से प्रवासी मजदूरों की पहचान के लिए स्ट्रीमलाइन्ड तरीके से एक लिस्ट तैयार करने को कहा है। उन्हें मिलने वाली रोजगार सहायता मैप होनी चाहिए और स्किल-मैपिंग भी की जाए। अदालत ने बड़ी राहत देते हुए कहा कि डिजास्टर मैनेजमेंट ऐक्ट (DMA) 2005 के तहत प्रवासियों के खिलाफ दर्ज लॉकडाउन के कथित उल्लंघन के मामले वापस लिए जाएंगे।
इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को सुव्यवस्थित तरीके से प्रवासी मजदूरों की पहचान के लिए एक सूची तैयार करने को कहा है। कोर्ट ने सरकारों से मजदूरों को स्किल मैपिंग करके रोजगार के मुद्दे पर भी राहत देने को कहा है।
वहीं, बता दे कि 24 मार्च को कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार ने देशभर में लॉकडाउन लागू किया था, जिसे बढ़ाकर 30 जून तक कर दिया गया। हालांकि, एक जून के बाद से अनलॉक-1 को भी लागू किया गया है। लॉकडाउन के दौरान रोजगार न मिलने की वजह से लाखों की संख्या में मजदूर अन्य राज्यों में फंस गए थे। इसके बाद कई मजदूर पैदल ही अपने घर के लिए चल पड़े थे।
हालांकि, बाद में केंद्र सरकार ने दवाब में अा कर हो या चाहे मजदूर की मुसीबतों को देखते हुए मई से प्रवासी मजदूरों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू किया था।