सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से केन्द्र और किसानों के बीच बातचीत चल रही है, उससे वह ‘बेहद निराश’ है.
प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा, ‘ क्या चल रहा है? राज्य आपके कानूनों के खिलाफ बगावत कर रहे हैं.’
उसने कहा, ‘हम सरकार और किसानों की बातचीत की प्रक्रिया से बेहद निराश हैं.’
इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने लगभग सख्त लहजे में केंद्र सरकार से कहा, ‘या तो आप इन कानूनों पर रोक लगाइए या फिर हम रोक लगा देंगे.’
सीजेआई ने यह भी पूछा क्या कानून को लागू करने से पहले कुछ समय के लिए होल्ड (रोका) पर नहीं जा सकता है.
याचिकाकर्ता के वकील ने इस बहस के दौरान जब कहा, ‘सिर्फ विवादित मुद्दों पर ही रोक लगाई जाए’ लेकिन सख्त कोर्ट का कहना है कि नहीं हम पूरे कानून पर रोक लगाएंगे.
‘हमारे हाथों में किसी का खून नहीं चाहिए.’
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, ‘लोग मर रहे हैं और हम कानूनों पर रोक नहीं लगा रहे हैं.’
पीठ ने कहा, ‘हम आपकी बातचीत को भटकाने वाली कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन हम इसकी प्रक्रिया से बेहद निराश हैं.’
पीठ में न्यायमूर्ति एस. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. सुब्रमण्यम भी शामिल थे.
शीर्ष अदालत प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के साथ सरकार की बातचीत में गतिरोध बरकरार रहने के बीच नए कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं और दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई कर रही थी.
उसने कहा ‘ यह एक बहुत ही नाजुक स्थिति बनी हुई है.’
पीठ ने कहा, ‘ हमारे समक्ष एक भी ऐसी याचिका दायर नहीं की गई, जिसमें कहा गया हो कि ये तीनों कृषि कानून किसानों के लिए अच्छे हैं.’
सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों को लेकर समिति की आवश्यकता को दोहराया और कहा कि अगर समिति ने सुझाव दिया तो, वह इसके क्रियान्वयन पर रोक लगा देगा.
उसने केन्द्र से कहा, ‘हम अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ नहीं हैं; आप बताएं कि सरकार कृषि कानूनों पर रोक लगाएगी या हम लगाएं?’
हालांकि अटॉर्नी जनरल केके. वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत से कहा कि किसी कानून पर तब तक रोक नहीं लगाई जा सकती, जब तक वह मौलिक अधिकारों या संवैधानिक योजनाओं का उल्लंघन ना करे.
वहीं, न्यायालय ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से कहा, ‘आपको भरोसा हो या नहीं, हम भारत की शीर्ष अदालत हैं, हम अपना काम करेंगे.’
वहीं सीजेआई ने सुनवाई करते हुए कहा, ‘अगर कुछ गलत हुआ तो हममें से हर एक जिम्मेदार होगा.’
सीजेआई की तीनों कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘हमारे हाथों में किसी का खून नहीं चाहिए.’
सीजेआई बहस के दौरान लगभग नाराज ही दिखे, उन्होंने कहा, ‘कुछ लोगों ने आत्महत्या कर ली है, बूढ़े और महिलाएं आंदोलन का हिस्सा हैं. ये क्या हो रहा है ?’
CJI ने कहा, ‘एक भी याचिका दायर नहीं की गई है जिसमें कहा गया हो कि कृषि कानून अच्छे हैं.’